स्वरचित कविताएँ- PAmit Hindi Poems
-
‘लौटकर आना साथी’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems
लौटकर आना साथी तुम्हें यहीं मिल जाउंगा मैं वहीं मिल जाउंगा हम, जहाँ अलग हुए थे, या बिछड़ गए थे, और, वक्त से कुछ पिछड़ गए थे। Continue reading
-
‘क्या-क्या नहीं सृष्टा ने उसको दिया’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems
समय की चाल तय है, वह ग्रस लेगा उसे, अनिश्चित है कब, कहाँ, यह व्याल डस लेगा उसे। बाजार की भीड़ में वह खुद दांव पर है, नहीं पता उसे, वह समूचा मामूली भाव पर है। Continue reading
-
‘मेरे हाथ टूट गए हैं…’- PAMIT Hindi Poems
वह जो अंतिम कविता थी न, फाड़ डाली थी उस चिंटु ने, और बना ली थी नाव वो बारिश बहुत बुरी रही Continue reading
-
मेरा देश क्या कुछ नहीं सहता- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems
वह सहता है समय-समय पर,, होने वाले बम विस्फोटों को जाने कैसे चुप रह जाता है सह-सह कर विराट चोटों को। Continue reading
-
‘शादी’- हिंदी हास्य-व्यंग्य कविता- PAMIT Hindi Poems
जो नहीं थीं पहले कभी, जिनका उदय नहीं हुआ था, उन्हीं समस्याओं के हल ढूँढ़ने को, शायद कोई व्यक्ति शादी किया करता है। वह न खाये जो खाना चाहता है,वहाँ न जाए जहाँ जाना चाहता है,कुछ ऐसी ही सुविधाएँ जो पाना चाहता है,उन्हीं सब के विशेष पैकेज हेतु,शायद कोई व्यक्ति शादी किया करता है। प्यार… Continue reading
-
मैं श्रद्धा से हिंदी के चरण छूता हूँ- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems
मैं श्रद्धा से हिंदी के चरण छूता हूँ मैं उत्साह से उसके शब्दों से खेलता हूँ, मैं ध्यान से उसके अक्षर-अक्षर बोलता हूँ, मस्तक पर उसके मैं मुकुट धरता हूँ… Continue reading
-
‘मुझे काम करना है’- हिंदी प्रेम कविता- PAMIT Hindi Poems
तुम प्यार को कहीं रख दो अभी,मुझे काम करना है…भावनाओं को प्राण मत दो अभी, मुझे काम करना है…कुछ पहर ही हुए हैं, कई पहरों का काम है, यूँ देख मुझे, मेरा ध्यान मत लो अभी, मुझे काम करना है…मैं उस पल के लिये ही,इस कोशिश में हूँ, जिस पल, हमारा धैर्य पूर्ण हो जाए,… Continue reading
-
‘टूटा-बिखरा प्रेम’- हिंदी कविता-PAMIT Hindi Poems
कई वर्ष बीत चुके हैं, स्मृतियाँ भी पीत पड़ गई हैं, मेरी आवाज भी अब नहीं गूँजती, तुम्हारी आँखें भी सिकुड़ती है, मेरे हाथ भी दरारों से भरे हैं, हमारे चश्मों के अंक भी समान नहीं, अब आराम कुर्सी पर आराम होता है, इन सब टूटी-बिखरी बातों के बीच, मेरा तुमसे यह कहना, कि, ‘मुझे… Continue reading
-
‘एक घटना घटी है’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poetry
पर, प्राण जब देह से अलगाव कर, मंद-मंद भी उठते होंगे, तब प्राणी जग के हो भयभीत, क्या खुद में नहीं सिमटते होंगे? नियम हैं, किन्तु हैं बेहद क्रूर, काया समीप, व्यक्ति खो जाता, कहीं, दूर Continue reading
-
दीवारों से निकली ईटें
छत को आश्चर्य है, कि कैसी नई-नई तरकीबें, उस तक जाने के लिये, बना ली गई हैं। Continue reading
-
चाँद, क्या यह पहली बार है?
और वह शरारत, छिप-छिपकर आ जाने की मेरी मुग्धता बढ़ाती है, मनु के अधिकार के बाहर यह प्रकृति तुम संग मिल कैसे-कैसे स्वांग रचाती है… Continue reading
-
‘दोस्ती’- हिंदी कविता- PAMIT HINDI POETRY
फूलों से भँवरे रूठे हैं, भँवरों के बहाने कई गज के हैं, कहते हैं कि फूल कागज के हैं। Continue reading
-
‘थोडे फासले पे होकर’- हिंदी गजल- PAMIT HINDI POEMS
औरों की ही तरह तुम हो जाओ तो, कोई हर्ज नहीं, लेकर अपना सब कुछ मुझसे, मुझे, फिर अकेला करना। Continue reading
-
‘वह पृष्ठ कोरा ही क्यों?’- हिंदी कविता- PAMIT HINDI POEMS
गंभीरतम सत्य जानने के बाद भी, वह गंभीर नहीं, पर्वतों-सी विपदाओं के आगे भी होते अधीर नहीं, कपोल-कल्पनायें भी जिनके समक्ष नतमस्तक हैं, बतलाओ मुझे, मुझमें उन कृष्ण की संभावना कहाँ तक हैं? Continue reading
-
‘अंधेरी कोठरियों से बात’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poetry
जब पहुँचा वहाँ तब अंधेरा देखा, मैंने कोठरियों में कुछ नहीं देखा, तम की रेखायें ही थीं, अलग-अलग आयामों में, उनका इतिहास बँटा होगा, कई-कई, कई नामों में,… Continue reading
-
‘गर सही जगह नहीं लगाई जाएंगी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poetry
गर सही जगह नहीं लगाई जाएंगी, तो ऊर्जायें आवारा हो जाएंगी। आसमां को ही ताकते रहेंगे तो, ये आसमां की ही हो जाएंगी। Continue reading
-
‘यह हँसी, यह खुशी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
यह हँसी, यह खुशी, चौराहे पर जाती मिली, कि चार दोस्त, एक साइकिल पर, मूँगफली लेने आये, दस रुपये की। यह ठहाके, यह कहकहे, बाजार में होते दिखे, कि नई खुली उस दुकान से, वह महिला खरीद चुकी है, अपना दुपट्टा कई दफे। यह कारनामे, यह वाकये, मंदिरों में होते दिखे, कि नारायण को समझाकर… Continue reading
-
‘दोनों ने सोचा था’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
दोनों ने सोचा था, ये कहेंगे, वो कहेंगे, कानों को क्या मालूम था, मिलने पर वे चुप रहेंगे….. Continue reading
-
‘सब तुम्हारा ही है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मेरी कश्ती में है हौसला बहुत, कि उससे मिलने को बेक़रार, किनारा भी है कई सपने मेरे, इस सपने तले,टूटकर चूर हुए है,अब तुम जान ही लो,यह शख्स हत्यारा भी है महलों में रहता हूँ तो क्या, मन के किसी कोने में, एक खुश बंजारा भी है अधिक समेटो मत ख़ुशियाँ जहां की, सारे जहाँ… Continue reading
-
तब तब तृप्त हुआ हूँ- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जब-जब उसने कांधे पर रखकर, हाथ, कोई बात पूछी, या समय बिताने को ही बस, उसे कोई पहेली सूझी, या उसकी फूँक की हवा से मेरी, कोई चोट ठीक हुई है। तब तब तृप्त हुआ हूँ। जब-जब बच्चों के अनगढ़ मन के साथ उत्साह से खेला हूँ, या, जब किसी बच्चे का दोस्त बना, जिसने… Continue reading
-
‘आवाजाही’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
आवाजाही, साँसों की निरंतर चलती रहे, बस इसलिये कदमों की, बंद करनी पड़ी।आवाजाही, धड़कनों की नियमित रहे, बस इसलिये उद्योगों की, प्रबंधित करनी पड़ी।कुछ सोच रहे, कुछ, लोगों के लिये ही, क्यों ?हमें रफ्तार विकास की, मंद करनी पड़ी।स्वयं को रखकर, उनकी जगह, सोचेंगे तो, इतना कांप उठेंगे, कि रस्सियाँ भी स्वरूप बदल डराएंगी, और,… Continue reading
-
अतुलनाय कृति है गुनाहों का देवता
अतुलनाय कृति है गुनाहों का देवता, मार्मिकता का, भावुकता का भंडार। आपने अवश्य पढ़ी होगी, अगर नहीं तो इसे पढ़ना ही चाहिये। यह इस पुस्तक की समीक्षा नहीं है, यह तो बस मेरे मन की भावनाएं जो इसे पढ़ने के बाद उपजी हैं, वह हैं, इस उपन्यास की समीक्षा के लायक भी मैं नहीं।आज सुबह… Continue reading
-
‘जलते दिये से जब ये पूछा कि’-हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जलते दिये से जब ये पूछा कि ‘क्या ख्याल है तुम्हारा सूरज के बारे में,’ हँसा वह, बहुत हँसा हवा संग बहने लगा, साथ रख अपनी काया का,वापस आ कहने लगा,“एक दिया है वह भी”‘क्या एक दिया है सूरज!’ “हाँ एक दिया है, है लेकिन, विशाल, आधारहीन, कायारहित, इस अखिल ब्रह्मांड के, अंधकार की प्रचंडता… Continue reading
-
‘जीवन का हुलिया’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
दोस्तों, मुझे आपके अच्छे-बुरे-सुडौल-बेडौल-आसान-गूढ़, सभी प्रकार के कमेंट का इंतजार रहेगा। ‘मैंने हुलिया कहा था जीवन का मित्र! यह तुम क्या बना लाये हो लगता है किसी कागज पर केवल सादा-सा प्रकाश उतार लाये हो’, लाल-नीला-हरा-पीला, सब ही अनुपस्थित कोई न मिला तो श्वेत कर लाये हो, “श्वेत ही स्रोत है सब रंगों का, बाकी… Continue reading