एक घटना घटी है,
घर से कुछ घर दूर,
एक परिवार सुन रहा है,
गर्जन काल का भयावह, बहुत क्रूर,
घटना बहुत अजीब है, बतलाएं कैसे?
मृत्यु अंतिम सत्य है, झुठलाएं कैसे!
जो हुआ था सब अदृश्य था,
हमने न देखा, न ही स्पृश्य था,
बताया जाता है कि ऐसा होता है,
सहसा आकर यम व्यक्ति से कहता है-
‘चल अब, समय पूरा हुआ,
क्यों, अब यहाँ रहता है’?
सुना है, अटल यह है, विधि का विधान है,
अविरल चलते संसार का एक यही समाधान है,
पर, प्राण जब देह से अलगाव कर,
मंद-मंद भी उठते होंगे,
तब प्राणी जग के हो भयभीत,
क्या खुद में नहीं सिमटते होंगे?
नियम हैं, किन्तु हैं बेहद क्रूर,
काया समीप, व्यक्ति खो जाता, कहीं, दूर!
-PAMIT Hindi
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