nature
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तब तब तृप्त हुआ हूँ- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जब-जब उसने कांधे पर रखकर, हाथ, कोई बात पूछी, या समय बिताने को ही बस, उसे कोई पहेली सूझी, या उसकी फूँक की हवा से मेरी, कोई चोट ठीक हुई है। तब तब तृप्त हुआ हूँ। जब-जब बच्चों के अनगढ़ मन के साथ उत्साह से खेला हूँ, या, जब किसी बच्चे का दोस्त बना, जिसने… Continue reading
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‘बस इस सदी की ही बात है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
बस इस सदी की ही बात है,फिर ये पंछी चहचहाएंगे नहीं,करना कोशिशें लाख मनाने की,वे तुमसे मिलने आएंगे नहीं। बस इस सदी की ही बात है,उलझा लो पतंगों को पेड़ पर, बाद में वे तुम्हें रुलाएंगे नहीं,और, रक्षा सूत्र भी कलाई पर बँधाएंगे नहीं। बस इस सदी की ही बात है,जलमग्न नहीं, अश्रुमग्न संसार हो… Continue reading