‘टूटा-बिखरा प्रेम’- हिंदी कविता-PAMIT Hindi Poems

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Image Credit- Google Images

कई वर्ष बीत चुके हैं,

स्मृतियाँ भी पीत पड़ गई हैं,

मेरी आवाज भी अब नहीं गूँजती,

तुम्हारी आँखें भी सिकुड़ती है,

मेरे हाथ भी दरारों से भरे हैं,

हमारे चश्मों के अंक भी समान नहीं,

अब आराम कुर्सी पर आराम होता है,

इन सब टूटी-बिखरी बातों के बीच,

मेरा तुमसे यह कहना,

कि, ‘मुझे तुमसे प्रेम हैं,’

मुझे बहुत अजीब लगेगा,

और तुम्हें…?

-PAMIT Hindi

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“‘टूटा-बिखरा प्रेम’- हिंदी कविता-PAMIT Hindi Poems” के लिए प्रतिक्रिया 8

  1. आपकी कविता तो खूबसूरत हैं ही ये छायांचित्र भी दिल को छू गया। 🙏😊

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