Lockdown
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‘सब तुम्हारा ही है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मेरी कश्ती में है हौसला बहुत, कि उससे मिलने को बेक़रार, किनारा भी है कई सपने मेरे, इस सपने तले,टूटकर चूर हुए है,अब तुम जान ही लो,यह शख्स हत्यारा भी है महलों में रहता हूँ तो क्या, मन के किसी कोने में, एक खुश बंजारा भी है अधिक समेटो मत ख़ुशियाँ जहां की, सारे जहाँ… Continue reading
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गाँव माटी दूर तो है छोड़ आये- एक प्रवासी मजदूर का गीत
गाँव माटी दूर तो है छोड़ आये,घर में भूखे, भात लाने दूर आये। मोतियों से आँसू रोती अम्मा मेरी,जाने कैसे मुन्ना मेरा रात खाए।शहर में हम बे-सहारे, गाँव मेरा घर पुकारे,कल क्या होगा, सोचता दिल थम-सा जाता रे,ये बीमारी जान लेती, काम छूटे, घर उजाड़े,ये गरीबी, हम जो जीते, कम है क्या रे। गाँव माटी… Continue reading
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‘आवाजाही’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
आवाजाही, साँसों की निरंतर चलती रहे, बस इसलिये कदमों की, बंद करनी पड़ी।आवाजाही, धड़कनों की नियमित रहे, बस इसलिये उद्योगों की, प्रबंधित करनी पड़ी।कुछ सोच रहे, कुछ, लोगों के लिये ही, क्यों ?हमें रफ्तार विकास की, मंद करनी पड़ी।स्वयं को रखकर, उनकी जगह, सोचेंगे तो, इतना कांप उठेंगे, कि रस्सियाँ भी स्वरूप बदल डराएंगी, और,… Continue reading