मन पर कविता
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‘क्या-क्या नहीं सृष्टा ने उसको दिया’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems
समय की चाल तय है, वह ग्रस लेगा उसे, अनिश्चित है कब, कहाँ, यह व्याल डस लेगा उसे। बाजार की भीड़ में वह खुद दांव पर है, नहीं पता उसे, वह समूचा मामूली भाव पर है। Continue reading