जलते दिये से जब ये पूछा कि
‘क्या ख्याल है तुम्हारा
सूरज के बारे में,’
हँसा वह, बहुत हँसा
हवा संग बहने लगा,
साथ रख अपनी काया का,
वापस आ कहने लगा,
“एक दिया है वह भी”
‘क्या एक दिया है सूरज!’
“हाँ एक दिया है, है लेकिन,
विशाल, आधारहीन, कायारहित,
इस अखिल ब्रह्मांड के,
अंधकार की प्रचंडता को,
वह भी कब कर पाता है,
समाप्त!”
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