कवि
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‘मेरे हाथ टूट गए हैं…’- PAMIT Hindi Poems
वह जो अंतिम कविता थी न, फाड़ डाली थी उस चिंटु ने, और बना ली थी नाव वो बारिश बहुत बुरी रही Continue reading
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दीवारों से निकली ईटें
छत को आश्चर्य है, कि कैसी नई-नई तरकीबें, उस तक जाने के लिये, बना ली गई हैं। Continue reading