‘वह पृष्ठ कोरा ही क्यों?’- हिंदी कविता- PAMIT HINDI POEMS

वह पृष्ठ कोरा ही क्यों रह रहा है?
जिस पर कृष्ण को लिखने का मन हो रहा है,
समझ विस्तीर्ण होकर भी क्यों मौन है?
जीवन को बतलाने वाले ये कृष्ण कौन हैं?

गंभीरतम सत्य जानने के बाद भी, वह गंभीर नहीं,
पर्वतों-सी विपदाओं के आगे भी होते अधीर नहीं,
कपोल-कल्पनायें भी जिनके समक्ष नतमस्तक हैं,
बतलाओ मुझे, मुझमें उन कृष्ण की संभावना कहाँ तक हैं?

कुरुक्षेत्र के नाटक की डोर जिनके हाथ थी,
पार्थ को समर्थ बनाने को जिनने गीता इजाद की,
कायाओं के घोर संग्राम में जो व्यक्ति अडिग रहा,
उन कृष्ण के अपनाने में मेरा मन क्यों डिग रहा?

बंसी की धुन से जो जनों को आनंदित कर देता था,
ले साथ अनिल का, सुंगध प्रेम की जग में भर देता था,
गोपियों के संग रास रचा जो, भूखंडो को भी जीवंत बनाता,
राधे-राधे कहलाने वाला वो कृष्ण मुझमें क्यों नहीं उतर आता?

-PAMIT HINDI



“‘वह पृष्ठ कोरा ही क्यों?’- हिंदी कविता- PAMIT HINDI POEMS” के लिए प्रतिक्रिया 9

    1. मुझे बहुत अच्छा लगा आपको यह कविता पसंद आयी, आपको श्रीकृष्ण जनमाष्टमी की बहुत शुभकामनाएँ।🙏🙏

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      1. जय श्री कृष्णा 🙏🙏

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    1. इतने प्यारे कमेंट के लिये सहृदय धन्यवाद। जय श्रीकृष्ण।🙏

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    1. Many Thanks to you for appreciating it.🌹🙏

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  1. कृष्ण के बारे में सबसे खूबसूरत रचना है यह👌👌🌻🌼

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