Poems
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‘सब तुम्हारा ही है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मेरी कश्ती में है हौसला बहुत, कि उससे मिलने को बेक़रार, किनारा भी है कई सपने मेरे, इस सपने तले,टूटकर चूर हुए है,अब तुम जान ही लो,यह शख्स हत्यारा भी है महलों में रहता हूँ तो क्या, मन के किसी कोने में, एक खुश बंजारा भी है अधिक समेटो मत ख़ुशियाँ जहां की, सारे जहाँ… Continue reading
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‘जलते दिये से जब ये पूछा कि’-हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जलते दिये से जब ये पूछा कि ‘क्या ख्याल है तुम्हारा सूरज के बारे में,’ हँसा वह, बहुत हँसा हवा संग बहने लगा, साथ रख अपनी काया का,वापस आ कहने लगा,“एक दिया है वह भी”‘क्या एक दिया है सूरज!’ “हाँ एक दिया है, है लेकिन, विशाल, आधारहीन, कायारहित, इस अखिल ब्रह्मांड के, अंधकार की प्रचंडता… Continue reading
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‘जीवन का हुलिया’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
दोस्तों, मुझे आपके अच्छे-बुरे-सुडौल-बेडौल-आसान-गूढ़, सभी प्रकार के कमेंट का इंतजार रहेगा। ‘मैंने हुलिया कहा था जीवन का मित्र! यह तुम क्या बना लाये हो लगता है किसी कागज पर केवल सादा-सा प्रकाश उतार लाये हो’, लाल-नीला-हरा-पीला, सब ही अनुपस्थित कोई न मिला तो श्वेत कर लाये हो, “श्वेत ही स्रोत है सब रंगों का, बाकी… Continue reading
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‘धूप मीठी लगी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
तुम्हें चलते हुए देखा, उस रोज दोपहर में, और छा गय़ी शांति, मेरे सारे शहर में।केवल जो बातें बोलीं तुमने, वह ही मुझे खट्टी लगीं,उस रोज दोपहर की,धूप मीठी लगी। सतरंगी परिधान में थी, तुम मानो आसमान में थी, नेत्रों में मैं डूब गया, पाया नहीं तुम्हें,यूँ लगा स्वयं के ही ध्यान में थींकेवल वह… Continue reading