सन्नाटा
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‘सन्नाटा’- हिंदी कविता- भवानीप्रसाद मिश्र
तुम डरो नहीं, वैसे डर कहाँ नहीं है, पर खास बात डर की कुछ यहाँ नहीं है बस एक बात है, वह केवल ऐसी है, कुछ लोग यहाँ थे, अब वे यहाँ नहीं हैं। Continue reading
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‘अंधेरी कोठरियों से बात’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poetry
जब पहुँचा वहाँ तब अंधेरा देखा, मैंने कोठरियों में कुछ नहीं देखा, तम की रेखायें ही थीं, अलग-अलग आयामों में, उनका इतिहास बँटा होगा, कई-कई, कई नामों में,… Continue reading