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‘यह हँसी, यह खुशी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
यह हँसी, यह खुशी, चौराहे पर जाती मिली, कि चार दोस्त, एक साइकिल पर, मूँगफली लेने आये, दस रुपये की। यह ठहाके, यह कहकहे, बाजार में होते दिखे, कि नई खुली उस दुकान से, वह महिला खरीद चुकी है, अपना दुपट्टा कई दफे। यह कारनामे, यह वाकये, मंदिरों में होते दिखे, कि नारायण को समझाकर… Continue reading
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‘उड़ने वाली झाडू’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
झाडू है एक मेरे घर में, लेकिन उड़ने वाली नहीं, यह मुझे पता चला तब उस समय जब की कोशिश, झाडू से पहली बार उड़ने की, हाँ, उड़ा मैं, कुछ क्षणों तक तो कि क्या पता, इंजन खराब हुआ या फ्यूल गुल हो गया! इससे पहले कुछ समझ पाता, मैं प्यारी धरती से जा मिला। Continue reading