‘लौटकर आना साथी’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems

लौटकर आना साथी
तुम्हें यहीं मिल जाउंगा
मैं वहीं मिल जाउंगा
हम, जहाँ अलग हुए थे,
या बिछड़ गए थे, और,
वक्त से कुछ पिछड़ गए थे।

अब थोड़ा अधिक जाग गया हूँ,
और यह हो रहा है निरंतर,
अब है मुश्किल, करना मेरे लिये,
तुममें, मुझमें, और प्रेम में अंतर।

जो भी है, संपदा पास मेरे,
दूंगा तुझे, वह नाम तेरे,
तितलियों का लालच नहीं है
उनके लिये अब दौड़ नहीं
पर वे आ जाती हैं, और,
मेरे इर्द-गिर्द मँडराती हैं

जो जीवन पहले सालता था मुझे,
वही अब बड़े प्रेम से पालता है मुझे।
तुम आना, वह बहुत मिलनसार है,
मिलने को सर्वदा तैयार है!

-PAMIT Hindi

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“‘लौटकर आना साथी’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems” के लिए प्रतिक्रिया 6

    1. आपको बहुत धन्यवाद जोया जी🙏

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