हिंदी कवितायें
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‘गर सही जगह नहीं लगाई जाएंगी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poetry
गर सही जगह नहीं लगाई जाएंगी, तो ऊर्जायें आवारा हो जाएंगी। आसमां को ही ताकते रहेंगे तो, ये आसमां की ही हो जाएंगी। Continue reading
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‘उठ मेरी बेटी सुबह हो गई’- हिंदी कविता- ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’- Hindi Poetry
तेरे साथ थककर सोई थी जो तेरी सहेली हवा, जाने किस झरने में नहा के आ गई है, गीले हाथों से छू रही है तेरी तस्वीरों की किताब…… Continue reading
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‘यह हँसी, यह खुशी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
यह हँसी, यह खुशी, चौराहे पर जाती मिली, कि चार दोस्त, एक साइकिल पर, मूँगफली लेने आये, दस रुपये की। यह ठहाके, यह कहकहे, बाजार में होते दिखे, कि नई खुली उस दुकान से, वह महिला खरीद चुकी है, अपना दुपट्टा कई दफे। यह कारनामे, यह वाकये, मंदिरों में होते दिखे, कि नारायण को समझाकर… Continue reading
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‘चमत्कार’- हिंदी कविता- ‘अमृता प्रीतम’
ये भगवानों का देश है यहाँ सिर्फ चमत्कार होता है पसीना कितना भी बहा लो उसकी मर्ज़ी के बिना सब बेकार होता है अब देखो न किसान कितना भी अन्न उगा ले गरीबी ही झेलता है पर उसी अन्न को घर घर बेचने वाला रुपयों में खेलता है मज़दूर कितना भी पसीना बहा ले मज़बूर… Continue reading
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‘चुप-चाप’- हिंदी कविता- ‘अज्ञेय’
चुप-चाप चुप-चाप झरने का स्वर हम में भर जाए, चुप-चाप चुप-चाप शरद की चांदनी, झील की लहरों पर तिर आए, चुप-चाप चुप चाप जीवन का रहस्य, जो कहा न जाए, हमारी, ठहरी आँख में गहराए, चुप-चाप चुप-चाप हम पुलकित विराट में डूबें, पर विराट हम में मिल जाए… चुप-चाप चुप-चाऽऽप… Continue reading
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‘दोनों ने सोचा था’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
दोनों ने सोचा था, ये कहेंगे, वो कहेंगे, कानों को क्या मालूम था, मिलने पर वे चुप रहेंगे….. Continue reading
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‘सब तुम्हारा ही है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मेरी कश्ती में है हौसला बहुत, कि उससे मिलने को बेक़रार, किनारा भी है कई सपने मेरे, इस सपने तले,टूटकर चूर हुए है,अब तुम जान ही लो,यह शख्स हत्यारा भी है महलों में रहता हूँ तो क्या, मन के किसी कोने में, एक खुश बंजारा भी है अधिक समेटो मत ख़ुशियाँ जहां की, सारे जहाँ… Continue reading
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तब तब तृप्त हुआ हूँ- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जब-जब उसने कांधे पर रखकर, हाथ, कोई बात पूछी, या समय बिताने को ही बस, उसे कोई पहेली सूझी, या उसकी फूँक की हवा से मेरी, कोई चोट ठीक हुई है। तब तब तृप्त हुआ हूँ। जब-जब बच्चों के अनगढ़ मन के साथ उत्साह से खेला हूँ, या, जब किसी बच्चे का दोस्त बना, जिसने… Continue reading
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‘आवाजाही’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
आवाजाही, साँसों की निरंतर चलती रहे, बस इसलिये कदमों की, बंद करनी पड़ी।आवाजाही, धड़कनों की नियमित रहे, बस इसलिये उद्योगों की, प्रबंधित करनी पड़ी।कुछ सोच रहे, कुछ, लोगों के लिये ही, क्यों ?हमें रफ्तार विकास की, मंद करनी पड़ी।स्वयं को रखकर, उनकी जगह, सोचेंगे तो, इतना कांप उठेंगे, कि रस्सियाँ भी स्वरूप बदल डराएंगी, और,… Continue reading
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‘जलते दिये से जब ये पूछा कि’-हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
जलते दिये से जब ये पूछा कि ‘क्या ख्याल है तुम्हारा सूरज के बारे में,’ हँसा वह, बहुत हँसा हवा संग बहने लगा, साथ रख अपनी काया का,वापस आ कहने लगा,“एक दिया है वह भी”‘क्या एक दिया है सूरज!’ “हाँ एक दिया है, है लेकिन, विशाल, आधारहीन, कायारहित, इस अखिल ब्रह्मांड के, अंधकार की प्रचंडता… Continue reading
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‘जीवन का हुलिया’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
दोस्तों, मुझे आपके अच्छे-बुरे-सुडौल-बेडौल-आसान-गूढ़, सभी प्रकार के कमेंट का इंतजार रहेगा। ‘मैंने हुलिया कहा था जीवन का मित्र! यह तुम क्या बना लाये हो लगता है किसी कागज पर केवल सादा-सा प्रकाश उतार लाये हो’, लाल-नीला-हरा-पीला, सब ही अनुपस्थित कोई न मिला तो श्वेत कर लाये हो, “श्वेत ही स्रोत है सब रंगों का, बाकी… Continue reading
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‘जीवन-परिधि से तुम दूर रही हो’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
अति न होगी गर कहूँ मेरे शब्द-शब्द में तुम भरपूर रही हो, जीवन ही होतीं मेरा, मगर जीवन-परिधि से तुम दूर रही हो। भाग्य रेखाओं में तो ना मिलीं पर इस चक्र के पार भी एक जहां है, तुम आना, मैं चलता हूँ, मैंने गुरु से पूछ लिया, द्वार कहाँ है! सब प्रकार की विक्षिप्तता… Continue reading
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यदि राम सा संघर्ष हो- कविता- कवि संदीप द्विवेदी
सह ली सारी यातना, पर, कर्तव्य सर्वोपरि रखात्याग, शील, संकल्प को,जिस तरह जीवित रखाबोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?यदि राम सा संघर्ष हो। कल मुकुट जिस पर साजना था, अब उसे सबकुछ त्यागना थानिर्णयों के द्वन्द से,एक बालपन का सामना थावचन भी था थामना, आदेश भी था मानना, इस द्वंद में सोचो स्वयं को, धर्म… Continue reading
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प्राणी वही प्राणी है- हिंदी कविता- भवानी प्रसाद मिश्र
तापित को स्निग्ध करे,प्यासे को चैन दे। सूखे हुए अधरों को, फिर से जो बैन दे।ऐसा सभी पानी है। लहरों के आने पर,काई-सा फटे नहीं।रोटी के लालच में,तोते-सा रटे नहीं। प्राणी वही प्राणी है। लँगड़े को पाँव औरलूले को हाथ दे।सत की संभार में,मरने तक साथ दे।बोले तो हमेशा सच,सच से हटे नहीं,।झूट के डराए… Continue reading
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‘मैं सिक्कों में बिकना चाहता हूँ’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मैं सिक्कों में बिकना चाहता हूँ, ताकि बच्चे भी खरीद सकें, और पा सकें वृद्ध भी, बिना नुकसान के डर के,ले सकें मेरे मन को, तपते सूरज की धूप जैसे, अपने शरीर पर ऊर्जा की तरह, ले सकें मेरे मन को,राधाकृष्ण के महारास की, उस शीतल पूर्णिमा की तरह।मैं समेटकर उन सिक्कों को, फिर उन… Continue reading
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‘मैं कविता लिखूँ गर’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
मैं कविता लिखूँ गर,तो किस पर लिखूँ। सूरज, क्या तुम पर लिखूँ,नहीं! तुम क्रोधित हो जाओगे,मुझे राख बना दोगे। चाँद, क्या तुम पर लिखूँ,नहीं! तुम्हारी चमक ही उधार हैतुम मुझे क्या दोगे! वृक्षों क्या तुम पर लिखूँ,नहीं! मानव की क्रूरता से मिटे हुए होअब और भार कितना सहोगे! पंछियों क्या तुम पर लिखूँनहीं! शायद तलाशते… Continue reading
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कालिदास ओ कालिदास-(कविता)-बाबा नागार्जुन
कालिदास ओ कालिदासकालिदास ओ कालिदासकालिदास ओ कालिदासकालिदास! सच-सच बतलानाइन्दुमती के मृत्युशोक सेअज रोया या तुम रोये थे?कालिदास! सच-सच बतलाना! शिवजी की तीसरी आँख सेनिकली हुई महाज्वाला मेंघृत-मिश्रित सूखी समिधा-समकामदेव जब भस्म हो गयारति का क्रंदन सुन आँसू सेतुमने ही तो दृग धोये थेकालिदास! सच-सच बतलानारति रोयी या तुम रोये थे? वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिकाप्रथम… Continue reading
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‘धूप मीठी लगी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
तुम्हें चलते हुए देखा, उस रोज दोपहर में, और छा गय़ी शांति, मेरे सारे शहर में।केवल जो बातें बोलीं तुमने, वह ही मुझे खट्टी लगीं,उस रोज दोपहर की,धूप मीठी लगी। सतरंगी परिधान में थी, तुम मानो आसमान में थी, नेत्रों में मैं डूब गया, पाया नहीं तुम्हें,यूँ लगा स्वयं के ही ध्यान में थींकेवल वह… Continue reading
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‘बस इस सदी की ही बात है’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
बस इस सदी की ही बात है,फिर ये पंछी चहचहाएंगे नहीं,करना कोशिशें लाख मनाने की,वे तुमसे मिलने आएंगे नहीं। बस इस सदी की ही बात है,उलझा लो पतंगों को पेड़ पर, बाद में वे तुम्हें रुलाएंगे नहीं,और, रक्षा सूत्र भी कलाई पर बँधाएंगे नहीं। बस इस सदी की ही बात है,जलमग्न नहीं, अश्रुमग्न संसार हो… Continue reading
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पास में बैठो, मोहब्बत की महक देते रहो- POEM BY SATYAPAL SATYAM
पास में बैठो, मोहब्बत की महक देते रहो ,किसी अंधेरे में इन आँखों को चमक देते रहो। धूप में झुलसे ना मेरी प्रीत की हरियालियाँ सूख ना जाये कहीं, तरुवर की गीली डालियाँ सींचते जाओ टहनियों को, लचक देते रहो। पास में बैठो मोहब्बत की महक देते रहो, किसी अंधेरे में इन आँखों को चमक देते रहो। नफ़रतों के… Continue reading
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‘केवल तुक मिलाए-2’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
केवल तुक मिलाए-1 कलम की स्याही सघन है, रुक-रुक के चलती पवन है, हर शुरुआत अ-धुरी रही है, खुद से मेरी बहुत दूरी रही है। दिशाएँ सब धुँधली हैं, आकाश में अब भी बदली हैं, दिन तो हो गया है, ‘दिनकर’ छिपा हुआ है। दीवार की ओट में छिपकर बैठा है, वहाँ कोई और नहीं,… Continue reading
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‘और, फिर एक यहाँ से कविता निकलेगी’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
चाँद का आकार दिनोंदिन बदलता जा रहा है, सूरज का स्वभाव भी परवान चढ़ता जा रहा है, रोशनी इधर-उधर बादलों की इच्छा से टहलेगी, और, फिर एक यहाँ से कविता निकलेगी। सत्ताधीश हों या बंजारे यहाँ, भूख दोनों की बढ़ती जाएगी, एक जीवन की ही आस, अब रेत की तरह फिसलती जाएगी, हवा तूफान बन… Continue reading
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‘सावधान! बच्चे उतर रहे हैं’- हिंदी कविता- PAmit Hindi Poems
नमस्कार मित्रों, यह कविता लिखने का विचार मरे मन में तब आया, जब मैं कहीं किसी काम से जा रहा था, और एक स्कूल बस गुजरती हुई गई, मैंने देखा, उस बस पर सभी स्कूल बसों की तरह लिखा हुआ था, सावधान बच्चे उतर रहे हैं, लेकिन अगर बस चल रही है, तो बच्चे कैसे… Continue reading