Agyey
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‘हिरोशिमा’-हिंदी कविता-‘अज्ञेय’
मानव का रचा हुया सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया। पत्थर पर लिखी हुई यह जली हुई छाया मानव की साखी है। Continue reading
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‘चुप-चाप’- हिंदी कविता- ‘अज्ञेय’
चुप-चाप चुप-चाप झरने का स्वर हम में भर जाए, चुप-चाप चुप-चाप शरद की चांदनी, झील की लहरों पर तिर आए, चुप-चाप चुप चाप जीवन का रहस्य, जो कहा न जाए, हमारी, ठहरी आँख में गहराए, चुप-चाप चुप-चाप हम पुलकित विराट में डूबें, पर विराट हम में मिल जाए… चुप-चाप चुप-चाऽऽप… Continue reading
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‘नाच’ (कविता)- महाकवि ‘अज्ञेय’
एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ।जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँवह दो खम्भों के बीच है।रस्सी पर मैं जो नाचता हूँवह एक खम्भे से दूसरे खम्भे तक का नाच है।दो खम्भों के बीच जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँउस पर तीखी रोशनी पड़ती हैजिस में लोग मेरा… Continue reading