भवानी प्रसाद मिश्र
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‘सन्नाटा’- हिंदी कविता- भवानीप्रसाद मिश्र
तुम डरो नहीं, वैसे डर कहाँ नहीं है, पर खास बात डर की कुछ यहाँ नहीं है बस एक बात है, वह केवल ऐसी है, कुछ लोग यहाँ थे, अब वे यहाँ नहीं हैं। Continue reading
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प्राणी वही प्राणी है- हिंदी कविता- भवानी प्रसाद मिश्र
तापित को स्निग्ध करे,प्यासे को चैन दे। सूखे हुए अधरों को, फिर से जो बैन दे।ऐसा सभी पानी है। लहरों के आने पर,काई-सा फटे नहीं।रोटी के लालच में,तोते-सा रटे नहीं। प्राणी वही प्राणी है। लँगड़े को पाँव औरलूले को हाथ दे।सत की संभार में,मरने तक साथ दे।बोले तो हमेशा सच,सच से हटे नहीं,।झूट के डराए… Continue reading