हरिवंशराय बच्चन
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हमें पैदा क्यों किया था?- हिंदी हास्य कविता- हरिवंशराय बच्चन
ज़िन्दगी और ज़माने की कशमकश से घबराकर मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था? और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे मुझे क्यों पैदा किया था? Continue reading
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‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’- हिंदी कविता- ‘डॉ. हरिवंशराय बच्चन’
वह उठी आँधी कि नभ में छा गया सहसा अँधेरा, धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस भाँति घेरा, रात-सा दिन हो गया, फिर रात आई और काली, लग रहा था अब न होगा इस निशा का फिर सवेरा, Continue reading
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हरिवंशराय बच्चन की बेहतरीन कवितायें- संग्रह 2
क्या मैं जीवन से भागा था? क्या मैं जीवन से भागा था? स्वर्ण श्रृंखला प्रेम-पाश की, मेरी अभिलाषा न पा सकी, क्या उससे लिपटा रहता जो कच्चे रेशम का तागा था! क्या मैं जीवन से भागा था? मेरा सारा कोष नहीं था, अंशों से संतोष नहीं था, अपनाने की कुचली साधों में मैंने तुमको त्यागा… Continue reading
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हरिवंशराय बच्चन की बेहतरीन कवितायें- संग्रह 1
मित्रों, जिनका नाम ही लेने को मैं छोटा हूँ, वहाँ पर उनकी कविताओं को जानने और समझने का प्रयास मेरे द्वारा हो रहा है इस बात से ही मैं चकित हूँ। मुझे कई लेखक और उनकी कवितायें पसंद हैं। उदाहरण के तौर पर रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, नागार्जुन, मैथिलीशरण गुप्त आदि सभी को… Continue reading
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मेरा गान अमर हो जाए! -हरिवंशराय बच्चन
तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए! तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए ! मेरे वर्ण-वर्ण विश्रंखल, चरण-चरण भरमाए, गूंज-गूंज कर मिटने वाले मैनें गीत बनाये; कूक हो गई हूक गगन की कोकिल के कंठो पर, तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए ! जब-जब जग ने कर फैलाए, मैनें कोष… Continue reading
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रात आधी खींच कर मेरी हथेली- हरिवंशराय बच्चन
रात आधी खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने। फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में और चारों ओर दुनिया सो रही थी। तारिकाऐं ही गगन की जानती हैं जो दशा दिल की तुम्हारे हो रही थी। मैं तुम्हारे पास होकर दूर तुमसे अधजगा सा और अधसोया हुआ सा। रात आधी खींच… Continue reading