यशोधरा
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‘सखि, वे मुझसे कहकर जाते’- हिंदी कविता- ‘राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त’
स्वयं सुसज्जित करके क्षण में, प्रियतम को, प्राणों के पण में, हमीं भेज देती हैं रण में – क्षात्र-धर्म के नाते सखि, वे मुझसे कहकर जाते। Continue reading
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स्वयं सुसज्जित करके क्षण में, प्रियतम को, प्राणों के पण में, हमीं भेज देती हैं रण में – क्षात्र-धर्म के नाते सखि, वे मुझसे कहकर जाते। Continue reading