yu to sath dene ko
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‘यूँ तो साथ देने को’- हिंदी प्रेम कविता- ‘डॉ. जगदीश सोलंकी’
यूँ तो साथ देने को हजारों हाथ और है, पर तू जो संग में रहे तो तेरी बात और है। चंद आंसू क्या गिरे कि उम्र तक भिगो गए, दिल की धूल क्या उड़ी कि रास्ते ही खो गए, Continue reading