इसका रोना
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‘रोने की छवि’- हिंदी कविता- ‘श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान’
तुम कहते हो- मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है, मैं कहती हूँ- इस रोने से अनुपम सुख छा जाता है। सच कहती हूँ, इस रोने की छवि को जरा निहारोगे, बड़ी-बड़ी आँसू की बूँदों पर मुक्तावली वारोगे। Continue reading