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‘लौटकर आना साथी’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems

लौटकर आना साथी तुम्हें यहीं मिल जाउंगा मैं वहीं मिल जाउंगा हम, जहाँ अलग हुए थे, या बिछड़ गए थे, और, वक्त से कुछ पिछड़ गए थे।

‘क्या-क्या नहीं सृष्टा ने उसको दिया’- हिंदी कविता- PAMIT Hindi Poems

समय की चाल तय है, वह ग्रस लेगा उसे, अनिश्चित है कब, कहाँ, यह व्याल डस लेगा उसे। बाजार की भीड़ में वह खुद दांव पर है, नहीं पता उसे, वह समूचा मामूली भाव पर है।

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मेरे बारे में

मेरा नाम अमित है, जो इस ब्लॉग पर हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखकों की कविताएँ व कुछ अपनी स्वरचित कविताएँ भी प्रकाशित करता हूँ। मैं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में रहता हूँ, तथा स्नातक(B.A.) का विद्यार्थी हूँ।

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